Thursday 16 April 2015

जीवन

आसमां के ज्यादर सलेटी पर कुछ सफ़ेद हिस्सों के बीच
समस्त अधिकार के साथ पैठे बादल के छोटे से भव्य पीले हिस्से में
रहता था एक जोड़ा गौरैया का ,
कभी - कभी उनके पंखों के फडफडाने का तीव्र भान सा होता
मानो छूटने की पुरजोर कोशिश होती 
पर हर बार नाकाम सी ,
एक की आँखों में छटपटाहट के आंसूं उतर आते
पर दूसरी में जिद्द का स्वाभिमान
अंततः पंखों के एक दुसरे के स्पर्श मात्र से
भर आई ताकत के साथ मानो एक आखिरी कोशिश
और वो निकल आते हैं उस बेहद खूबसूरत स्वर्ण कैद सरीखे ही
बादल के छोटे से टुकड़े से
जहां होना शायद कभी उनका स्वाभाविक चुनाव था
या फिर पारम्परिक बाध्यता
पर अब उसे सह पाना लगभग असह्य था ,
मुस्कुराती आँखों के साथ
ज़ख़्मी जोड़े अब अपनी अनंत यात्रा पर हैं
उल्लासित पवन से
साथ है बेशक ढेरों खारापन
बेहद तकलीफ
पर साथ ही है अगाध प्रेम ,विश्वास व् मुक्ति का सुख भी
अथाह-------------,
ये पर्याप्त है
जीवन को जीवन सा जीने के लिए !!

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