Friday 17 April 2015

शिद्दत

वो लिखती रहती है प्रेमगीत 
रचती रहती है कोई न कोई धुन 
हवाओं में , पर्वत नदी पहाड़ों जंगलों में 
रात के भयावह सन्नाटों और सूरज की तपती धूप में भी ,
वो ढूंढती रहती है प्रेम मिचमिचाई आँखों ,सूखे होठों और 
झुर्रियों से धीरे-धीरे भर रहे चेहरे के साथ --- अनवरत ,
वो महसूसती रहती है प्रेम खाली मन और उदास खामोशियों के बीच
उन सभी जगहों पर जहां प्रेम अक्सर नहीं होता ,
प्रेम के अभाव में भटकती प्रेम को शिद्दत से जीने की चाह लिए एक लड़की !!

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