Wednesday 7 August 2013

जिम्मेदार कौन ?

वो जो बच्चे हैं
देख रहे हैं अपने पिताओं के असमय अंतिम संस्कार
देख रहे हैं सरकारों व् प्रशासन की घृणित अमर्यादायें
बेतुके बयान ......निर्लज्ज मुस्कान ,

वो जो बच्चे हैं
देख रहे हैं माओं को टूट कर बिखरते
देख रहे हैं परिवारों में रातों-रात विघटन की प्रक्रिया
निकृष्ट स्वार्थपरता ....दयनीय अवहेलना ,

वो जो बच्चे हैं
जो स्कूलों से सड़क पर आ गए हैं बेवजह
जो परिवार से बेदखल हो गए हैं बेवजह
कुंठित ----- प्रश्नवाचक ,

वो जो बच्चे हैं
जो सीख रहे हैं जिन्दगी से दो-चार होना
जो सीख रहे हैं माँ को माँ सा जिन्दा रखना
खुद ही कभी माँ तो कभी बाप बनकर ,

वो जो बच्चे हैं
जो लड़ते हैं सड़क पर भूख से अमर्यादित होकर
जो न जाने कैसे हो जाते हैं असामाजिक तत्व
बदतमीज़ .....आवारा ......अवांछित

दरअसल ये भी शामिल हैं उन्हीं में
जिन्हें हम समाज कहते हैं
जहां मर्यादाएं पालित होती हैं
संस्कार गढे जाते हैं
और जहां आचरण शुद्ध होता है ,

फिर भी न जाने क्यों ये ऐसे हैं
स्याह बिंदु से
सफ़ेद हथकरघे से बनी खादी पर
या फिर सबसे प्राचीन संस्कृति के अप्रतिम गौरव पर ,

सवाल अनुत्तरित है
जवाब अपेक्षित !!

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