Tuesday 2 April 2013

पीड़ा

पीड़ा गहन है
 मौन है
अदृश्य है ---चेतन भी ,


अनुगूंज शब्दों की प्रक्रिया है
आह से चीत्कार तक विस्तृत
स्थूल है --- प्रभावी भी ,

दोनों ही जीवित रहते हैं सदियों तक
सदियों के लिए
परीक्षण की तरह
दिलासे की तरह भी !!!


 अर्चना राज़

1 comment:

  1. Lekin jab ehsaas sukhad hota hai sab bhool jaate hai.Dilaasa bhee

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