Friday 6 April 2012

एक शाम

उदासियों से भरी एक शाम
तेरी सोच ने फिर से
दस्तक दी मेरे ख्यालों में ,

तुझे खुद में समेटूं
या तुझमे ही खोई रहूँ
सोचते हुए ही पूरी शाम
ख़ामोशी से गुजर गयी !!



                         अर्चना "राज "

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